पटना में एक ऐसा थाना जिसे देखकर हर कोई हैरान!

राजधानी पटना में एक  ऐसा भी है थाना जो गौशाला दिखता है जी हाँ चौकिये मत तस्वीर को गौर से देखीये यह पटना के गोपालपुर थाना कि तस्वीर है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आलीशान बंगले से महज सात किलोमीटर की दुरी पर है लेकिन किसी अधिकारी का ध्यान इस थाना पर अभी तक नहीं पड़ा है इस तपती धूप और झमाझम बारीश में करकट के नीचे पुलिस कर्मि और अधिकारी काम करने को मजबूर है  बारीश में घुटने भर पानी भर जाता है आखिर कर भी क्या सकते हैं पुलिस कर्मियों के पास कोई चारा भी नहीं है सडक किनारे करकट के नीचे कुर्सी पर बैठकर धुल फाकने  और बारीश में भिगने के अलावा    पटना में थाना ऐसा होगा शायद ही किसी ने सोचा होगा लेकिन जो तस्वीर बयां कर रहा है उससे एक बात तो साफ है कि थाना नये भवन कि बाट जोह रहा है और आश पर टिकी है , न्यूज़ प्राइम 24 के पत्रकार नवीन कुमार  ने जब थाना में दस्तक दिया तो सभी अधिकारी एंव पुलिसकर्मी करकट से टपकती

बारीश के पानी के बून्दो से तबाह दिख रहे थे  थाना में हुए जल जमाव के बीच फरीयादीयो के फरीयाद सुन रहे थे जब थाने में हुए जलजमाव पर पुछा तो उदासी भरी चेहरे से जबाब मिला कि क्या किया जाए इसके सीवा कोई चारा भी नहीं है गर्मी पडे तो चेहरे से टपाटप पसीना चूता है मांथे से निकला पसीना एडी तक जाता है जिससे वर्दी गीली हो  जाती है  पुक्षने पर बताया कि मजबूरी है नौकरी तो करनी ही करनी है  वाकयी आज के जमाने में भी राजधानी पटना में ऐसा थाना का भवन होगा कोई सोच भी नहीं सकता  पुलिस को अत्याधुनिक बना दिया गया है लेकिन थाना का भवन 90 के दशक का याद दिला रहा है जिसे देखकर हर कोई चकित है हैरानी की बात तो यह है कि पुलिस को डिजिटल बना दिया गया है लेकिन थाना का भवन भु जबरा कि तरह ही दिख रहा है जो सरकार और सरकार के सिस्टम फर सिधा तमाचा है  हमारी मकसद पुलिसकर्मी कि मजबूर हालात को दर्शाना नहीं है  बल्कि जिमेवार अधिकारियों कि आंख खोलवाना है शायद ही कोई ऐसा थाना है जहाँ बाईक लगाने का भी जगह नहीं है गोपालपुर थाना कि मजबूरी है कि वाहन जांच अभियान  में जप्त वाहनों को लगाने तक कि जगह नहीं है  कयी सवाल इनके अंदर उठते हैं और अंदर ही दफन होते हैं हालात के अनुसार डयूटी करने को मजबूर है अधिकारी और पुलिसकर्मी   सरकार और विभाग को गौर करने की जरूरत है 

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